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हिंदू समाज की एकता से बनेगा शक्तिशाली और धर्मनिष्ठ भारत: RSS प्रमुख मोहन भागवत

हिंदू समाज की एकता से बनेगा शक्तिशाली और धर्मनिष्ठ भारत: RSS प्रमुख मोहन भागवत


नई दिल्ली, 30 मई 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू समाज की एकता को भारत की शक्ति और प्रगति का आधार बताते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को भाषा, जाति, और प्रांतीय भेदभाव से ऊपर उठकर एकजुट होने की आवश्यकता है। यह एकता न केवल भारत को सैन्य और आर्थिक रूप से शक्तिशाली बनाएगी, बल्कि इसे धर्मनिष्ठ और नैतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र के रूप में भी स्थापित करेगी।

एकता ही शक्ति का मूल मंत्र
मोहन भागवत ने अपने हालिया संबोधन में जोर देकर कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर इतना सशक्त बनाना होगा कि कोई भी बाहरी ताकत उसे चुनौती न दे सके। उन्होंने कहा, "हिंदू समाज को संगठित और एकजुट होना होगा। हमारी एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जब हम एक साथ खड़े होंगे, तभी भारत अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्जनन दे सकेगा।" भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एकता केवल हिंदू समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समस्त भारतीय समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का जिक्र
RSS प्रमुख ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का उदाहरण देते हुए कहा कि विश्व में कहीं भी हिंदुओं पर अत्याचार होगा, वहां उनकी रक्षा के लिए RSS और उससे जुड़े संगठन काम करेंगे। हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि यह कार्य अंतरराष्ट्रीय नियमों और कायदों का पालन करते हुए किया जाएगा। भागवत ने कहा, "हमारी लड़ाई किसी समुदाय या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है। हमारा संघर्ष अधर्म के खिलाफ है,ಸ
System: धर्म और अधर्म की लड़ाई।"
धर्मनिष्ठता और नैतिकता का महत्व
भागवत ने भारत को एक धर्मनिष्ठ और नैतिक राष्ट्र बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि शक्ति के साथ-साथ धर्म और नैतिकता का होना आवश्यक है। "भारत की पहचान उसकी संस्कृति और मूल्यों में निहित है। हमें इन मूल्यों को संरक्षित करते हुए एक समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है।"
सामाजिक और राजनैतिक प्रतिक्रियाएं
इस बयान ने देश में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। कई लोग इसे राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक गौरव की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ आलोचकों ने इसे धार्मिक और सामाजिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताया है। सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर विभिन्न मत सामने आए हैं। कुछ यूजर्स ने भागवत के विचारों का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे सामाजिक सौहार्द के लिए चुनौतीपूर्ण माना।
RSS का दृष्टिकोण
RSS लंबे समय से हिंदू समाज को संगठित करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। भागवत का यह बयान संगठन के उस दृष्टिकोण को और मजबूत करता है, जिसमें समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने और देश को सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया जाता है।
भविष्य की दिशा
मोहन भागवत का यह बयान न केवल RSS के स्वयंसेवकों, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के लिए एक प्रेरणा का काम कर सकता है। उनके विचारों ने एक बार फिर राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक गौरव, और नैतिकता के महत्व को रेखांकित किया है। आने वाले समय में इस बयान के प्रभाव और इसकी दिशा में होने वाले कार्यों पर सभी की नजर रहेगी।
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