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आज का पंचांग: 30 मई 2025 - शुक्रवार का विस्तृत पंचांग और शुभ-अशुभ मुहूर्त

आज का पंचांग: 30 मई 2025 - शुक्रवार का विस्तृत पंचांग और शुभ-अशुभ मुहूर्त


नई दिल्ली, 30 मई 2025
: हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व है, क्योंकि यह वैदिक ज्योतिष के आधार पर दैनिक जीवन में शुभ और अशुभ समय की जानकारी प्रदान करता है। पंचांग के पांच प्रमुख अंग - तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण - सूर्य और चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं। यह लेख 30 मई 2025, शुक्रवार के पंचांग का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है, जिसमें शुभ मुहूर्त, राहुकाल, व्रत-त्योहार और ज्योतिषीय सलाह शामिल हैं।

पंचांग विवरण: 30 मई 2025
  • तिथि: ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी (रात 9:23 बजे तक, इसके बाद पंचमी)
  • वार: शुक्रवार
  • नक्षत्र: पुनर्वसु (रात 9:29 बजे तक, इसके बाद पुष्य)
  • योग: गण्ड (दोपहर 12:56 बजे तक, इसके बाद वृद्धि)
  • करण: वणिज (सुबह 9:45 बजे तक, इसके बाद विष्टि)
  • विक्रम संवत: 2082, कालयुक्त
  • शक संवत: 1947, विश्वावसु
  • मास: ज्येष्ठ (पूर्णिमांत और अमांत)
  • चंद्र राशि: मिथुन (दोपहर 3:42 बजे तक, इसके बाद कर्क)
  • सूर्य राशि: वृषभ
  • सूर्योदय: सुबह 5:24 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 7:14 बजे
  • चंद्रोदय: सुबह 8:45 बजे
  • चंद्रास्त: रात 10:50
    बजे
शुभ मुहूर्त और योग
  • रवि योग: रात 9:30 बजे तक (पुनर्वसु नक्षत्र और शुक्रवार के संयोग से यह शुभ योग बनता है। इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ती है।)
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: रात 9:29 बजे तक (पुनर्वसु और गुरुवार/शुक्रवार का संयोग)
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:15 बजे से 5:00 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:50 बजे तक
नोट: राहुकाल, गुलिक काल और यमगण्ड काल के दौरान शुभ कार्य करने से बचें, क्योंकि ये समय अशुभ माने जाते हैं।

अशुभ समय
  • राहुकाल: सुबह 10:35 बजे से दोपहर 12:19 बजे तक
  • गुलिक काल: दोपहर 12:19 बजे से दोपहर 2:03 बजे तक
  • यमगण्ड काल: सुबह 7:07 बजे से 8:51 बजे तक
  • दिशा शूल: पश्चिम और नैऋत्य दिशा में यात्रा से बचें।
व्रत और त्योहार
  • वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत: 30 मई 2025 को भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है, जो विघ्नहर्ता गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भक्त इस दिन गणेश मंदिरों में दर्शन और पूजा करते हैं।
  • वैभव लक्ष्मी व्रत: धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी की पूजा के लिए यह व्रत रखा जाता है। फलाहार और दान-पुण्य इस दिन विशेष पुण्यदायी माने जाते हैं।
ज्योतिषीय महत्व और सलाह
30 मई 2025 का दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के प्रभाव से इस दिन शुरू किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक होती है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा, श्री विष्णुसहस्रनाम और श्री सूक्त का पाठ करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।
उपाय और अनुष्ठान
  1. भगवान गणेश की पूजा: वैनायकी चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं। "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  2. माता लक्ष्मी की पूजा: वैभव लक्ष्मी व्रत के दौरान तुलसी पत्र और कमल पुष्प अर्पित करें। "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
  3. दान-पुण्य: ज्येष्ठ मास में जल, फल, गुड़ और अनाज का दान करना अत्यंत फलदायी है। गौशाला में गायों को चारा, रोटी और गुड़ खिलाएं।
  4. वृक्षारोपण: मंदिर परिसर में पौधरोपण करें, यह पर्यावरण और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से शुभ है।
  5. पक्षियों को दाना-पानी: घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना और पानी रखें, यह पुण्य कार्य माना जाता है।
विशेष सावधानियां
  • राहुकाल के दौरान कोई भी शुभ कार्य शुरू न करें, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नया व्यवसाय।
  • भद्रा और दिशा शूल का ध्यान रखें, विशेष रूप से यात्रा के लिए।
  • रवि योग में किए गए कार्यों को प्राथमिकता दें, क्योंकि यह समय अत्यंत शुभ होता है।
पंचांग का महत्व
हिंदू धर्म में पंचांग का उपयोग शुभ कार्यों के लिए उचित समय निर्धारित करने में किया जाता है। यह न केवल धार्मिक कार्यों बल्कि विवाह, गृह प्रवेश, व्यवसाय शुरू करने, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब कोई कार्य प्रकृति और ग्रहों के साथ सामंजस्य में किया जाता है, तो वह अधिक सफल और सकारात्मक परिणाम देता है। पंचांग के पांच अंग - तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण - इस सामंजस्य को स्थापित करने में मदद करते हैं।

निष्कर्ष
30 मई 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी और वैभव लक्ष्मी व्रत इस दिन को और भी विशेष बनाते हैं। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के प्रभाव से यह दिन शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त है। पंचांग के अनुसार समय का सही उपयोग करके आप अपने कार्यों में सफलता और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी वैदिक ज्योतिष और सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। पाठक अपने विवेक से इसका उपयोग करें।
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